सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण ने अवमानना मामले में उन पर लगाया गया 1 रुपए का जुर्माना सोमवार को भर दिया। इसके बाद उन्होंने कहा कि जुर्माने का भुगतान करने का यह मतलब नहीं कि मैंने सुप्रीम कोर्ट का फैसला मान लिया है। भूषण ने मामले रिट पिटिशन भी दायर कर दी है।
उन्होंने कहा कि उन्हें देश के कोने-कोने से जुर्माना भरने के लिए मदद मिल रही है। इससे अब एक ट्रूथ फंड बनाया जा रहा है, इसका इस्तेमाल ऐसे लोगों की कानूनी मदद के लिए किया जाएगा, जिनके खिलाफ असहमतिपूर्ण विचार के लिए मुकदमा चलाया जा रहा है।
आलोचना करने वालों का मुंह बंद करा रही सरकार
उन्होंने कहा कि सरकार हर तरह से ऐसे लोगों की आवाज दबाने का प्रयास कर रही है, जो उनके खिलाफ आवाज उठाते हैं। ट्रूथ फंड के जरिए ऐसे लोगों की निजी आजादी को बचाने का प्रयास किया जाएगा, जो सरकार की प्रताड़ना को झेल रहे हैं। दिल्ली दंगों के मामले में जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद की गिरफ्तारी पर भूषण ने कहा कि सरकार आलोचना को बंद करने के लिए सारे हथकंडे अपना रही है।
15 सितंबर तक भरना था जुर्माना
सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त को कन्टेम्प्ट ऑफ कोर्ट मामले में सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण पर एक रुपए का जुर्माना लगाया था। यदि 15 सितंबर तक जुर्माना नहीं भरा जाता, तो तीन महीने की जेल हो सकती थी और तीन साल के लिए वकालत भी छूट सकती थी।
क्या है मामला?
अदालत और सुप्रीम कोर्ट के जजों को लेकर विवादित ट्वीट करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 14 अगस्त को प्रशांत भूषण को अवमानना का दोषी करार दिया था। प्रशांत भूषण के इन 2 ट्वीट को कोर्ट ने अवमानना माना था-
- पहला ट्वीट: 27 जून- जब इतिहासकार भारत के बीते 6 सालों को देखते हैं तो पाते हैं कि कैसे बिना इमरजेंसी के देश में लोकतंत्र खत्म किया गया। इसमें वे (इतिहासकार) सुप्रीम कोर्ट, खासकर 4 पूर्व सीजेआई की भूमिका पर सवाल उठाएंगे।
- दूसरा ट्वीट: 29 जून- इसमें वरिष्ठ वकील ने चीफ जस्टिस एसए बोबडे की हार्ले डेविडसन बाइक के साथ फोटो शेयर की। सीजेआई बोबडे की बुराई करते हुए लिखा कि उन्होंने कोरोना दौर में अदालतों को बंद रखने का आदेश दिया था।
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