पाकिस्तान में आतंकी धमकी के बीच 350 किमी यात्रा कर हिंगलाज मंदिर पहुंच रहे श्रद्धालु, चंद्रगुप्त ज्वालामुखी पर श्रीफल चढ़ाने के बाद ही दर्शन

तपती गर्मी के बीच नंगे पैर किशोर, महिला-पुरुष मां के जयकारे लगाते हुए 300 फुट ऊंचे चंद्रगुप्त ज्वालामुखी पर चढ़ाई कर रहे हैं। हाथ में श्रीफल लिए 55 वर्षीय रमेश जायसवाल कहते हैं कि वे सिंध प्रांत के उमरकोट से नंगे पैर आए हैं। 15 दिन में 350 किमी दूरी तय की। इन्हीं की तरह सैकड़ों श्रद्धालु मां हिंगलाज के दर्शन के लिए नंगे पैर पहुंचे हैं। ज्यादातर नवरात्र के 9 दिन रुककर व्रत रखते हैं और सुबह-शाम मां की आरती में हिस्सा लेते हैं।

भारत के बाहर पाकिस्तान में यह ऐसी शक्तिपीठ है, जहां सबसे ज्यादा दर्शनार्थी पहुंचते हैं। इस बार कोरोना की पाबंदी के चलते तादाद कम है, लेकिन उत्साह में कमी नहीं है। हर साल यहां 2 लाख श्रद्धालु पहुंचते हैं। लेकिन इस बार नवरात्र में 4 दिन में 6 हजार से ज्यादा श्रद्धालु ही पहुंचे हैं। दरअसल सरकार ने एक समूह में 6 से ज्यादा लोगों को यात्रा की अनुमति नहीं दी है। पहले लोग बस से 50-60 के समूह में यात्रा करते थे। इस साल कोविड पाबंदियों के चलते भारत, कनाडा, ब्रिटेन से आने वाले हजारों श्रद्धालु भी नहीं आ सके हैं।

माता के दर्शन से पहले श्रद्धालु चंद्रगुप्त ज्वालामुखी पर चढ़ते हैं। श्रीफल अर्पित करते हैं और अनुष्ठान करते हैं। मंदिर के करीब ही हिंगोल नदी है। श्रद्धालु इसमें पवित्र स्नान के बाद ही माता के दर्शन करते हैं। मुख्य पुजारी महाराज गोपाल हैं, जो कई दशक पहले मां के दर्शन के लिए आए थे और यहीं के होकर रह गए। वे बताते हैं कि सरकार ने मंदिर का जीर्णाेद्धार करवाया है। हिंगलाज माता कमेटी के महासचिव पेशुमल अरलानी बताते हैं कि बेहतर इंतजाम और तटीय हाइवे बनने से यात्रा आसान हो गई है।

अरब तट के किनारे कराची से ग्वादर तक 657 किमी हाइवे बन रहा है। हालांकि इस बार भी आतंकियों ने श्रद्धालुओं को निशाना बनाने की धमकी दी है। इसे देखते हुए मंदिर और यात्रा मार्ग पर सुरक्षा बल तैनात किए हैं। बीते गुरुवार को हमले में एक दर्जन से ज्यादा जवान मारे गए थे।

लिखित इतिहास 14वीं सदी का, हिंगलाज पहाड़ी पर गिरा था सिर

इतिहासकारों का मत है कि हिंगलाज यात्रा का लिखित उल्लेख 14वीं सदी से मिलता है। मान्यता है कि भगवान शिव के तांडव से बचाने के लिए विष्णु ने चक्र से सती की पार्थिव देह के टुकड़े किए थे। ये जिन स्थानों पर गिरे, वे शक्तिपीठ कहलाए। सिर हिंगलाज पहाड़ी पर गिरा। इसलिए यह 51 शक्तिपीठों में सबसे प्रमुख है।



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Devotees traveling to Hinglaj temple traveling 350 km amid terror threat in Pakistan


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